जब मैं तुम्हारी उँगली थामूँ
सुशीला
शील राणा
जीवन सागर में
कभी थिर पानी
तो कभी
भयंकर झंझावातों में
तुम्हें रखा बचाए
सदा छाती से लगाए
कि नहीं झुलसाए तुम्हें
ज़रा भी तपती धूप
जलती लू की आँच
जब कभी
विपदाओं के तूफ़ानों में
डगमगाई परिवार की नैया
भींच लिया है तुम्हें
मेरी मज़बूत बाँहों ने
अपने सुरक्षा घेरे में
जीवन सागर के
अनंत विस्तार में
जब भी रखे हैं तुमने
बाहर अपने कदम
मेरी निगाहों के
सी सी टी वी कैमरे
करते रहे हैं तुम्हारा पीछा
कि कोई वहशी नज़र
कर न ले तुम्हारा शिकार
मुझे
ख़ुद से ज्यादा
रही है तुम्हारी फ़िक्र
ज़िंदगी भर
जीवन सागर के
तट पर पहुँचते-पहुँचते
कई बार गिरी-उठी
टूटी-जुड़ी
लहूलुहान हुई
थक के चूर हुई
जीवन की
गोधूलि बेला में
लड़खड़ाते भरोसे
डगमगाते कदमों के साथ
जब मैं तुम्हारी उँगली थामूँ
तो मेरी आत्मजा
तुम हो जाना 'मैं'
थाम लेना मेरा हाथ
बुढ़ापे को दे देना
जवानी का सहारा
लौट जाऊँगी मैं
तुम्हारे बचपन में
तुम-सी होकर
तुम हो जाना मुझ-सी
और इस तरह
लौट आएँगे फिर
हम दोनों की ज़िंदगियों के
सबसे ख़ूबसूरत दिन
बहुत खूब 🙏🌹🌹✌️
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
Deleteसराहना के लिए धन्यवाद राजेश जी 🙏
Deleteउत्तम और भाव पूर्ण कविता - बेटी और माँ का रिश्ता सचमुच दिव्य और महान होता है
ReplyDeleteआपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार सर
Deleteजब मैं तुम्हारी उँगली थामूँ
ReplyDeleteतो मेरी आत्मजा
तुम हो जाना 'मैं'.....लौट जाऊँगी मैं
तुम्हारे बचपन में
तुम- सी होकर
तुम हो जाना मुझ- सी
बहुत ही भावपूर्ण।
हार्दिक बधाई आदरणीया सुशीला जी।
सादर 🙏🏻
आप कविता के मर्म तक पहुँची मेरा लेखन सार्थक हुआ रश्मि जी। हार्दिक आभार
Deleteसहज, सुंदर और भावपूर्ण कविता💐💐💐💐शुभकामनाएँ आपको💐
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया नंदा जी 🙏
DeleteBahut sunder likha h di......
ReplyDeleteशुक्रिया प्रिय सीमा
Deleteलौट जाऊँगी मैं
ReplyDeleteतुम्हारे बचपन में
तुम-सी होकर
तुम हो जाना मुझ-सी
और इस तरह
लौट आएँगे फिर
हम दोनों की ज़िंदगियों के
सबसे ख़ूबसूरत दिन.....वाह,बेहद खूबसूरत और मार्मिक कविता।बधाई सुशीला शील जी.
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Deleteसराहना, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार शिवजी सर
Deleteभावपूर्ण मार्मिक कविता ।बहुत बहुत बधाई सुशीला जी।
ReplyDeleteसराहना हेतु हार्दिक आभार डॉ सुरँगमा 🙏
Deleteभावपूर्ण कविता💐
ReplyDeleteसराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया अनिता जी
Deleteभावपूर्ण सृजन,, हार्दिक बधाई।
ReplyDelete-परमजीत कौर रीत
आभार रीत जी
Deleteवाह बहुत सुंदर और मार्मिक भाव!!
ReplyDeleteधन्यवाद प्रीति जी
Deleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteसराहना के लिए धन्यवाद ओंकार जी
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण कविता...हार्दिक बधाई सुशीला जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार कृष्णा जी
Deleteअत्यंत संजीदा , जीवन की सच्चाइयों की भावाभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाई सुशीला जी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है, मेरी बहुत बधाई
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