पथ के साथी
Friday, January 1, 2010
शुभकामना !
मन से उर -कम्पन से
लिखूँ शुभकामना ।
उँगली तुम जीवन में
स्नेह की थामना ।
उगते रहें
सूरज
नित द्वार तुम्हारे ।
तुम नहीं
हारना
जग चाहे ये हारे ।
करना न पड़े कभी
दु:खों का सामना ।
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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