पथ के साथी

Tuesday, August 10, 2010

दिल का दरिया

जितना बाँटा दिल का दरिया

उतना जीवन हो गया सागर ।

कोई बूँद ले अन्तर क्या है

चाहे कोई भर ले गागर ।

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’