आई
रे होली
कमला निखुर्पा
फागुन संग इतरा के आई है होली सर र र र चुनरी लहराए रे होली
सरसों भी शरमा के झुक झुक जाए
खिलखिला रही वो देखो टेसू की डाली ।
फागुन संग इतरा के आई रे होली ।
अमुआ की डाली पे
फुदक-फुदक
कानों में कुहुक
गीत गाए है होली ।
इंद्रधनुष उतरा
गगन से धरा पे
सतरंगी झूले पे
झूल रही होली ।
फागुन संग इतरा
के आई रे होली ।
खन खन खनकी गोरे हाथों की चूड़ियाँपिचकारी में रंग भर लाई रे होली ।
अखियाँ अबीर, गाल हुए हैं गुलाल आज
भंग की तरंग संग लाई है होली ।
फागुन संग इतरा के आई है होली ।
गलियाँ चौबारे
बने ब्रज – बरसाने
घर से निकल
चले कुंवर कन्हाई
ढोलक की थाप
सुन गूंजे मृदंग धुन
संग चली गीतों
की धुन अलबेली ।
फागुन संग
इतरा के आई रे होली ।
इंद्र धनुष
उतरा गगन से धरा पे
सतरंगी झूले
पे झूल रही होली ।