पथ के साथी

Wednesday, April 19, 2023

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निरुपमा सिंह

 


मेहँदी शगुन की

अरमानों की, खुशियों की

सभी के कर- कमलों पर

यूँ सज जाती है ..मानो

वातावरण में.. अनेकों

रजनीगंधा महक रही हों!

 

नववधू के हाथों पर 

जब उतरती हो 

चाँद -तारे सी दमकती हो

अपनी मादक सुगंध से

मन को उन्माद से भर देती हो!

 

सर्वप्रथम नव-युगल को

अंगीकार तुम्हारा होता है

कितनी कुँवारी आँखों के

सपने पूरित होने का वर 

तुमसे ही तो मिलता है!

 

मेहँदी तुम बहुत 

भागों वाली हो

विधाता से ये अधिकार 

तुम ही पा हो!

 

ना जाति- धर्म में बँटी हो

ना धनी- निर्धन में 

सभी की हथेलियों पर 

अपनत्व से रच जाती हो

सब वर्गों में 

समान रूप में 

वंदनीय हो

अहो भाग्य! तुम्हारा!!

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संक्षिप्त परिचय

निरुपमा सिंह

शिक्षा-स्नातकोत्तर(समाजशास्त्र)

सक्रियता-राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित

संप्रति-जनपद बिजनौर(उ.प्र.)

Email id-nirupma singh32@gmail.com