विनीत मोहन औदिच्य
1-पन्द्रह अगस्त (सॉनेट)
पन्द्रह अगस्त
पन्द्रह अगस्त आ गया पुनः पन्द्रह अगस्त
ध्वज स्वतंत्रता का
फहराने निकला सूरज कर तिमिर पस्त
इस दिन के लिए ही
वीरों ने कर खून स्वयं कामनाओं का
अपना सर्वस्व न्योछावर कर
इतिहास लिखा बलिदानों का।
गांधी,सुभाष,आजाद,तिलक,सरदार,भगत सिंह,मौलाना
गोखले, जवाहर,
मालवीय, सबने पहना था एक बाना
सन सैंतालिस पीछे
छूटा पर जंग अभी तक जारी है
इस देश से ज्यादा, अब अपनी
आजादी सबको प्यारी है।
जनसंख्या बढ़ती दिन
प्रति दिन है रोजगार आसान नहीं
विकराल समस्याओं से
घिर, खोयी
मानव पहचान कहीं
अनुभूति है यद्यपि
कड़वी ये क्यों मिली देश को आजादी
जिनको संवारना था
भविष्य वो ही कर बैठे बरबादी।
परमार्थ स्वार्थ से
गौण हुआ हक कर्तव्यों पर भारी है
है भ्रष्ट व्यवस्था
अधिकारी जनता बेहद दुखियारी है।।
नए वर्ष का
सूरज बनकर, प्रभु कृपा दृष्टि कर दे
तिमिर हटाकर जीवन पथ
को, आलोकित
कर दे
दैविक, भौतिक संतापों
से, मुक्त हों भारत के वासी
रहें प्रफुल्लित सब
जन गण कभी न छाये यहाँ उदासी।
पुण्य सलिल से सिंचित
खेत सब , स्वर्ण
धान्य उपजाएँ
शस्य श्यामला धरा, बाग,
फल - फूलों से खिल जायें
रहे न बचपन कोई अभागा, छाँव मिले
ममता की
नारी का सम्मान करें
सब, सेवा
भी मात पिता की।
हो किसान ऋण मुक्त, सुखी,
संपन्न यही वर लेना
दिशा हीन को दिशा
दिखा और बेघर को घर देना
जन।-जन में
स्फूर्ति चेतना, नव यौवन अब भर जाये
मिट जाये आतंक, शांति का,
शाश्वत स्वर मिल पाये।
मंदिर, मस्जिद,
गिरजाघर से, गूँजे बस एक ही नारा
प्रेम की भाषा बोल एक
है, भारत
वर्ष हमारा प्यारा।।
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सार्थक जीवन का
साथियों हैं यही परम उद्देश्य
विकसित और संपन्न हों
गाँव प्रदेश और यह देश
भ्रूण की हत्या
छुआछूत और जात - पाँत की रीत
जुआ शराब नशे के
व्यसन से कोई न करना प्रीत।
कन्या लक्ष्मी रूप
मान कर घर घर हो उनका सम्मान
नारी शक्ति को
पहचानें, करे
न अब कोई अपमान
हों शिक्षित समस्त नर
नारी, धरम
करम में पक्के
राष्ट्रभक्ति और
संस्कारों से, हों
पोषित देश के बच्चे।
उन्नत खेती पर हो
निर्भर रहें प्रसन्न अन्नदाता किसान
श्रम की शक्ति को
अपनाये, शहरी
और ग्रामीण युवान
अधुनातन विज्ञान की
धारा, अब
लाये चहुँ दिस क्रांति
जन - जन के आंगन में
खेले, सुख,
समृद्धि और शांति।
शहर की अंधी दौड़ बंद
कर सब जन लाएं नवीन समग्र विकास
गाँव,नगर वासी
मिलजुल कर लिखें स्वर्णिम भारत का इतिहास।