पथ के साथी

Thursday, August 15, 2013

गड़ती कीलें

कमला निखुर्पा
1
आजादी - पर्व 
है भारतवासी को  
देश पे गर्व । 
2
उड़ता मन 
विस्तृत नभ में 
तिरंगे- संग । 
 3
गाए अवाम 
एक सुर में आज 
वन्देमातरम् । 
 4
लगाए गश्त 
चौकस हैं  निगाहें 
सीमा - प्रहरी । 
 5
लगाता घात 
मित्र बनके , शत्रु 
चौकस रहो । 
 6
गड़ती  कीलें 
देख तेरा ताबूत  
माँ के दिल में । 
 7
मिट  के भी तू 
अमर है  शहीद
गूँजे ये गीत । 

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पूछे बिटिया-

सुशीला शिवराण
1
देश स्वाधीन
शौर्य हुआ है पंगु
आदेश बिन ।
2
सशस्त्र फौजी
खुद की रक्षा हेतु
स्वीकृति माँगे ।
3
पूछे बिटिया-
कब देगी आज़ादी
मुझे सुरक्षा ।
4
मुल्क आज़ाद
पाबंदी की जंजीरें
औरतें कैद ।

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