पथ के साथी

Friday, November 25, 2016

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दोहावली
1-मंजूषा मन 
1
जीवन- विष का है असरनीले सारे अंग।
जिन जिनको अपना कहानिकले सभी भुजंग।
2
हमने तो बिन स्वार्थ केकिये सभी के काम।
हाथ मगर आया यहीमुफ़्त हुए बदनाम।।
3
सब अपने दुख से दुखीकौन बँधा धीर।
अपने -अपने दर्द हैंअपनी अपनी पीर।
4
थाम लिया पतवार खुद, चले सिंधु के पार।
मन में इक विश्वास ले, पाकिया मझधार।।
5
कहाँ छुपाकर हम रखें, तेरी ये तस्वीर।
भीग न जाए ये कहीं, आँखों में है नीर।।
6
मन भीतर रखते छुपा, है वो इक तस्वीर।
बस ये ही तस्वीर है, जीने की तदबीर।
-0-
2-राजपाल गुलिया
राजपाल गुलिया
1
हिम्मत जुटा वज़ीर ने , खरी कही जब बात
राजा की  शमशीर  ने , बतला दी औकात
2.
जिनके पुरखे राज के , थे  हुक्का बरदार
आज वही चौपाल पर , कर बैठे अधिकार ।
3.
झूठ सदा किसका चला , बता मुझे सरकार ।
चढ़ती   हाँडी   काठ  की , कहाँ दूसरी बार ।
 

4.
दर पर जब ललकारता , संयम तोड़ हुदूद ।
धीरज अरु संकोच का , करता खत्म वजूद ।
5.
इस बँगले को देखकर , मत हो  तू  हैरान ।
इसकी खातिर खेत ने , खो दी है पहचान ।
6.
बड़े निशानेबाज हो , करो नहीं ये चूक ।
रख कंधे पर गैर के  , चला  रहे   बंदूक ।
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संपर्क सूत्र :-      राजकीय प्राथमिक पाठशाला भटेड़ा , . व जिला - झज्जर ( हरियाणा )-124108, मोबाइल #9416272973
RAJPAL GULIA <rajpalgulia1964@gmail.com>
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3-ऋता शेखर 'मधु'
1
शेर, शिखी शतदल सभी, भारत की पहचान
प्राणों से प्यारा हमें,जन गन मन का गान।
2
लेखन में लेकर चलें, सूरज जैसा ओज
शीतल मन की चाँदनी, पूर्ण करे हर खोज
3
दुग्ध दन्त की ओट से, आई है मुस्कान
प्राची ने झट रच दिया, लाली भरा विहान
4
हरी दूब की ओस पर, बिछा स्वर्ण कालीन
 कोमल तलवों ने छुआ, नयन हुए शालीन
5
सूर्य कभी न चाँद बना, चाँद न बनता सूर्य
निज गुण के सब हैं धनी, बंसी हो या तूर्य
6
सुबह धूप सहला गई, चुप से मेरे बाल
जाने क्यों ऐसा लगा, माँ ने पूछा हाल
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4-कृष्णा वर्मा, कैनेडा
1
संस्कार जब से मिटे ,मरा आपसी प्यार
निज आँगन हिस्से किए नफ़रत का व्यापार।
2
किसको अपराधी कहें , कौन करे नुकसान
आख़िर में माता-पिता ,करें सदा भुगतान।
3
धन-दौलत किस काम का, मारे जो मिठ बोल
बिना तेल बाती बिना ,क्या दीप का मोल।
4
बेटी बिन सूना लगे ,विरस तीज-त्योहार
सूना रहता आँगना ,नहीं प्यार मनुहार।
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5-सविता अग्रवाल सवि,कैनेडा
1.
माँ की ममता का नहीं, जग में कोई तोल
बेटी बेटे लड़ रहे, लगा सके ना मोल ।
2
जमा जमा कर धन भरा, सुख पाया ना कोय
माया  तो  ठगनी  भई, समझ देर से होय ।
3
बार -बार तट छू रही, लहर ना माने हार
सदियों से है बढ़ रहा, तट लहरों में प्यार ।
4
बाती बटकर प्रेम की, भरो नेह का तेल
दीप जलाकर देख तू, सबसे होगा मेल ।
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