पथ के साथी

Wednesday, July 24, 2024

1425- पक्षी प्रसंग : तुलना से करें तौबा

 

 पक्षी प्रसंग : तुलना से करें तौबा

  विजय जोशी, पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल

√) हम में से हर आदमी अपने विशिष्ट गुणों के साथ जन्मा है। इन जन्मजात गुणों की


अभिवृद्धि एवं सदुपयोग ही हमारे जीवन का प्रयोजन होना चाहिए। इसी तरह हम में कुछ कमजोरियां भी जन्मजात होती हैं। हमारा ध्येय उन पर काबू करने या उनसे छुटकारा पाने का होना चाहिए।

√) एक वन में रहना वाला कौआ श्वेत हंस की तुलना में अपना रंग देखकर दुखी हो गया तथा हंस से अपनी व्यथा बाँटी। तब हंस ने कहा - मुझे तो तोते से ईर्ष्या होती हैक्योंकि वह दो रंग का है। मुझे लगता है कि उसे संसार का सबसे सुखी प्राणी होना चाहिए।

  √) कौए ने तोते को तब उस बात पर बधाई दी तो जो उत्तर मिला वह था - मैं सचमुच में सुखी थालेकिन केवल तब तक  जब तक कि मैंने मोर को नहीं देखा। जो न केवल बहुरंगी है। अपितु अत्यधिक सुंदर भी है. और तब उस कौए ने मोर से मिलने की ठानी। वह चिड़ियाघर पहुँचा तथा भीड़ के छँटने की प्रतीक्षा करने लगा। 

 


√) जैसे ही अवसर मिला उसने मोर को बधाई दी। लेकिन खुश होने के बजाय मोर ने अपनी व्यथा कौए को सुनाई। मुझे भी पहले यही लगता था: किंतु सत्य तो यह है कि अपनी उसी सुंदरता के कारण मैं आज इस चिड़ियाघर में कैद हूँ। मैंने हर एक बात का गहराई से परीक्षण किया और इस परिणाम पर पहुँचा कि कौवा एक मात्र ऐसा प्राणी है, जो उन्मुक्त और स्वच्छंद हैकिसी की कैद में नहीं। यदि मै भी कौआ होता तो आज स्वाधीन होताप्रसन्न होता। 

  √)  इस प्रसंग से उस कौए की आँखें खुल गईं। उसका सारा अवसाद एवं दुख पल भर में ही तिरोहित हो गया और मन हल्का। उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया।

  √)  मित्रो! यही हमारी भी त्रासदी है। हम अनावश्यक रूप से दूसरों से स्वयं की तुलना करते हुए दुखी रहा करते हैं और इस तरह अपने आस पास दुखनिराशा और अवसाद का जाल बुन लेते हैं। इसीलिए, जो मिला है उसी में सुखी रहने का प्रयत्न कीजिए। हर एक को सब कुछ नहीं मिला करता है। आपके निकट का हर आदमी आप से कुछ मायनों में अच्छा और कुछ अर्थों में कमतर होगा। तो फिर किस बात की तुलना और किस बात का दुख। तुलना करने की तुला से नीचे उतरकर जीवन को सार्थक बनाइए।

थोड़ी बहुत कमी तो यहाँ हर किसी में है

दरिया भी खूबियों का मगर आदमी में है।

 

Tuesday, July 16, 2024

1424

 उफ

 रश्मि 'लहर'


 
रहती नहीं जवानी देख

नदी भी माँगे पानी देख

 

उम्र गुजरती चुपके-चुपके

रहती एक निशानी देख

 

पुतले दो मिट्टी के मिलके

गढ़ते नई कहानी देख

 

झिड़की तल्खी तोड़ रही है

मरता आँख का पानी देख

 

चकनाचूर किए जाती है

तोड़े रिश्ते बानी देख

 

मेरी मुश्किल मेरी मुश्किल

तू अपनी आसानी देख

 

तन छूने को ये जग हाजिर

बंध पे आनाकानी देख

 

जो सीखा उससे सीखा है

दुआ बनी है नानी देख

 

एक किनारा दे दे इसको

कश्ती हुई पुरानी देख

सपनों के कल फूल खिले थे

अब आँखों का पानी देख

 

आँखों में ये हुआ तमाशा

बुझा आग से पानी देख

 

साहिल ही है सच्चा साथी

लहर है आनी जानी देख

-0-

रश्मि 'लहर', इक्षुपुरी कॉलोनी, लखनऊ-226002