पथ के साथी

Saturday, December 10, 2016

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1-मंजूषा मन
1
कैसे बोलो सौंप दे, जब है मन पर शाप ।
मन से मन को जोड़कर, दुख पाएँगे आप
2
यादों से मिटती नहीं, दर्द भरी थी रात।
हमको तो बस है मिली, आँसू की सौगात।।
3
कोई अब रखता नहीं, मन दरवाजे दीप।
आस लगा जिनसे चले, नहीं समीप।।
-0-
2-श्वेता राय
कह न पाऊँ बात मन की, दिल बड़ा बेचैन है।
याद तेरे साथ की प्रिय!, छीनती अब चैन है।।
पास थे तुम जब लगे सब, है ख़ुशी मेरे लि
मैं बनूँ चंदा कभी तो, चाँदनी तेरे लि।।

दिन लगा के पंख उड़ता, रात कटती थी नयन।
आस में तेरे मिलन के, जागती थी मैं मगन।।
सोचती थी क्या कहूँगी, जब मिलोगे तुम सजन।
भूल सारी बात जाती, देखती तुमको भवन।।

कर रहे वापस मुझे तुम, दिल लिया जो प्यार से।
आस से विश्वास से औ, प्रीत की मनुहार से।।
खुश रहोगे यदि सदा तुम, याद मत करना मुझे।
भूल कर भी दर्द कोई, अब नही सहना मुझे।।
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3-लीक से हट कर
डॉ मधु त्रिवेदी
कुछ अलग लिखा जा
लीक से हट कुछ किया जा
विषमता में समानता लाकर
हर व्यक्ति को खुशहाल किया जा
कर रहे है जो देश को खोखला
उनका काम तमाम किया जा
भारत में ही रहते है
यहीं फलते फूलते
असहिष्णुता जैसे बयान देते है
उनको देश से बाहर किया जा
ऊपर से नीचे तक जो गन्दगी
उसको साफ किया जा
सत्ताधारियों के बीच साक्षरता
स्तर को बढ़ाया जा
राजनीति के उच्च पदों को
पढे लिखों से
गौरवान्वित किया जा
सब लोगों को मिलें नौकरी
ऐसा कुछ किया जा
बड़े बूढ़े हो समृद्ध
मिलें बच्चों को छत्र छाया
ऐसे संस्कार दिये जाएँ
रहे कोई भूखा- नंगा
दो वक्त की रोटी मिले सबको
ऐसा इन्तजाम किया जा
चाँद तारों से करे बातें
ऐसा काम किया जा
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