पथ के साथी

Saturday, December 22, 2007

विवाह –गीत

अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो
कँवर चौंरी चढ़ गयौ
होय लो न रुकमण सामणी ।
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबा मेरी सामणी ।
तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी ।
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा ताऊ मेरी सामणी
तेरे ताऊ को अपणी ताई दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा भाई मेरी सामणी
तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी
-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया
लखिया सा बाबुल मेरी सामणी
तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिला दूँ
होय लो न रुकमण सामणी ।

लड़की की इच्छाएँ

लाड्डो मँगना हो सो माँग
राम रथ हाँक दिए।
मैं तो माँगूँ अयोध्या का राज
ससुर राजा दशरथ से ।
लाड्डो मँगना हो सो माँग
राम रथ हाँक दिए।

मैं तो माँगूँ कौशल्या –सी सास
देवर छोटे लछमन से ।
लाड्डो मँगना हो सो माँग
राम रथ हाँक दिए।

मैं तो माँगूँ श्रीभगवान
पलंगों पै बैठी राज करूँ ।
लाड्डो मँगना हो सो माँग
राम रथ हाँक दिए।