पथ के साथी

Monday, May 29, 2017

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चौपाई छंद
1-सुनीता काम्बोज
  
सरहद पर है गोलाबारी
करें सियासत खद्दरधारी

फिर सड़कों में गढ्ढ़े भारी
पैसा कहाँ गया सरकारी

चमचों ने ही नाव चलाई
डूब गई फिर से खुद्दारी

गलियों में बारूद बिछा है
घर की कर लो चारदीवारी

अब ये कौन खजाना लूटे
चोर करेंगे पहरेदारी

कैसे दर्शन कर लूँ तेरा
खाली है अब जेब हमारी

आज सुनीता दिन वो आया
जब दुश्मन ने बाजी हारी
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2-रेनू सिंह

मातु यशोदा के तुम लाला।
बाबा नंद प्रेम से पाला।।
मोहक छवि है बसती आँखों।
उड़ती ऊँची हूँ बिन पाँखों।।
गोप ग्वाल सब सखा तुम्हारे।
आकर मेटो दुःख हमारे।।
बंसी की धुन सबको भाती।
याद मुझे यमुना तट लाती।।
वस्त्र चुराते माखन खाते।
लुक छिप सारा नेह दिखाते।।
चुन लो सेवक अपनी दासी।
दरसन दो मथुरा के वासी।।
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