पथ के साथी

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Saturday, December 8, 2007

मारे जाएँगे

राजेश जोशी

जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे
मारे जाएँगे

कटघरे में खड़े कर दिए जाएँगे,जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे,मारे जाएँगे
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज़ हो
‘उनकी’ कमीज़ से ज़्यादा सफ़ेद
कमीज़ पर जिनकी दाग़ नहीं होंगे , मारे जाएँगे

धकेल दिए जाएँगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं
जो गुन नहीं गाएँगे , मारे जाएँगे
धर्म की ध्वजा उठाए जो नहीं जाएँगे जुलूस में
गोलियाँ भून डालेंगी उन्हें, काफ़िर करार दिए जाएँगे

सबसे बड़ा अपराध है उस समय
निहत्थे और निरपराध होना
जो अपराधी नहीं होंगे
मारे जाएँगे ।
[श्री राजेश जोशी की यह कविता ‘कविता आजकल’ संग्रह (प्रकाशन विभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार, पटियाला हाउस,नई दिल्ली मूल्य 30 रुपए)से ली गई है। अच्छी कविताएँ बहुत कम लिखी जा रही हैं और ऐसी धारदार यथार्थ के धरातल से जुड़ी कविताएँ और भी कम । हम जोशी जी और प्रकाशन विभाग के अत्यन्त आभारी हैं ।]