पथ के साथी

Tuesday, February 12, 2013

अहसान किए इतने


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
हमसे क्या आज मिले
जग के उपवन में
हम सातों जनम खिले ।
2
काँटों ने घेरा तन
अपनों ने कुचला
फूलों -सा कोमल मन ।
3
हर साँस लगे पहरे
घुटता दम मेरा
तुम भी निर्दय ठहरे ।
4
अहसान किए इतने
नीले अम्बर में
तारे चमके जितने ।
5
तुम मेरी पूजा हो
तुमसे भी प्यारा
कोई ना दूजा हो ।
6
तुम सब दु:ख जानो हो
दिल में दर्द उठे
तुम ही पहचानो हो ।
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