रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
हमसे क्या
आज मिले
जग के उपवन
में
हम सातों
जनम खिले ।
2
काँटों ने
घेरा तन
अपनों ने
कुचला
फूलों -सा
कोमल मन ।
3
हर साँस लगे
पहरे
घुटता दम
मेरा
तुम भी
निर्दय ठहरे ।
4
अहसान किए इतने
नीले अम्बर में
तारे चमके जितने ।
5
तुम मेरी पूजा हो
तुमसे भी प्यारा
कोई ना दूजा हो ।
6
तुम सब दु:ख जानो हो
दिल में दर्द उठे
तुम ही पहचानो हो ।
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