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खोखला
तन
डॉ.
सिम्मी भाटिया
खामोश
आँखें
अनगिनत
सवाल
बातें
बेबात
कैसी
उधेड़बुन
होती
बेचैनी
करे
वेदना
भूखा
पेट
सूखे
स्तन
देखे
बचपन
रोता
दिल
खोखला
तन
बचाए
कजरा
सूनी
दुनिया
काँपते
हाथ
सजाए
गजरा
होता
तिमिर
सजे
दुकान
देह -व्यापार ।
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