पथ के साथी

Thursday, March 10, 2022

1191-बरसाई चाँदनी

 सेदोका-  रश्मि विभा त्रिपाठी 

1


मेरे हेतु की

प्रसन्नता प्रणीत

प्रणम्य तुम मीत 

पाके तुम्हारा 

अनुराग पुनीत 

मैं हूँ अनुगृहीत।

2

जब भी हुई 

तनिक भयभीत 

गाए कामना- गीत 

निर्भय रखे

मुझे तुम्हारी प्रीत 

आभार!!! मेरे मीत।

3

तुम मिले तो

मिट गया मलाल 

मन है खुशहाल

मेरे स्वर को 

दे रहे तुम ताल

दिन- महीने- साल।

4

तुम शशि- से

आए लेके जुन्हाई

तम को दी विदाई

जग- अमा में

ज्योति मुझे दिखाई

जीर्ण आशा जिलाई!!

5


प्रिय चंदा- से

बरसाई चाँदनी

अमृत- धारा बनी

आँगन भरा

ढेरों चाँदी की कनी

अहा!!! जीवन धनी।

6

तुमने सींचा 

नव आशा से भरा

मन का बाग हरा

तुम्हारी प्रीति

प्रिय! मेरी उर्वरा

खिली, सौरभ झरा।

7


धरे हाथों में
 

भावों के मुक्ताहार

भव्यतम सत्कार

पावन प्रीति 

पग रही पखार

प्रिय आ गए द्वार।

8

कर न पाऊँ

अपनी श्रद्धा व्यक्त

आखर हैं अशक्त

प्रेम आराध्य 

प्रिय की बनी भक्त

जग से मैं विरक्त।

9

प्रिय तुमने

सुधारी चाल ग्रह

शांत सारा कलह

मुझे उबारा 

आशीर्वाद दे यह

'तू सदा सुखी रह'

10

अमा की घड़ी 

आसन अनायास

लगाएँ मेरे पास 

प्रिय चंदा- से

बाँटें मुझे उजास

विफल तम- त्रास।

-0-