पथ के साथी

Saturday, August 25, 2018

638-रक्षा -बंधन


दोहे - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

बहना भावों की नदी, है शीतल जलधार
समझ न पाया आज तक, कितना गहरा प्यार ।1

लगे मुझे हिमशैल -सा, हर बहना का प्यार्।
जितना ऊपर  नज़र में,उतना गहन अपार ।2

पाश जिसे बाँधे नहीं,मन्त्र सके ना  साध
प्रेमसूत्र की डोर से , बहना लेती बाँध ।3

जन्मों के कुछ कर्म थे , कई जन्म का सार
सागर से गहरा मिला , हमें बहन का प्यार ।4

जीवन के अक्षर लिखे, पकड़ काल का हाथ
उसको क्या फिर चाहिए,प्यार बहन का साथ।5
-(28/08/2015)

-0-

2 -नेह का धागा( चोका )- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

नेह का धागा
पगा प्रेम रस में
किसने बाँधा
प्राण हुए सिंचित
मन हर्षाया
ये द्वार कौन आया?
मेरी ये छाया !
जीना कहते किसे
मुझे सिखाया
दे दूँ आज के दिन
दुनिया सारी
तो भी बहुत कम
लगता मुझे
ये बहना हमारी
भाव- वन्दन
है माथे का चन्दन
खुशी बरसे
घर-आँगन हर्षे
आज के दिन
मेरी शुभकामना-
खुश रहे बहना ।
-0-
(6,सितम्बर-2015)