दोहे - रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
बहना भावों की नदी, है शीतल जलधार
समझ न पाया आज तक, कितना गहरा प्यार ।1
लगे मुझे हिमशैल -सा, हर बहना का प्यार्।
जितना ऊपर नज़र
में,उतना गहन अपार ।2
पाश जिसे बाँधे नहीं,मन्त्र सके ना साध
प्रेम –सूत्र की डोर से , बहना
लेती बाँध ।3
जन्मों के कुछ कर्म थे , कई जन्म का सार
सागर से गहरा मिला , हमें बहन का प्यार ।4
जीवन के अक्षर लिखे, पकड़ काल का हाथ
उसको क्या फिर चाहिए,प्यार बहन का साथ।5
-(28/08/2015)
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2 -नेह का धागा( चोका )- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
नेह का धागा
पगा प्रेम रस में
किसने बाँधा
प्राण हुए सिंचित
मन हर्षाया
ये द्वार कौन आया?
मेरी ये छाया !
जीना कहते किसे
मुझे सिखाया
दे दूँ आज के दिन
दुनिया सारी
तो भी बहुत कम
लगता मुझे
ये बहना हमारी
भाव- वन्दन
है माथे का चन्दन
खुशी बरसे
घर-आँगन
हर्षे
आज के दिन
मेरी शुभकामना-
खुश रहे बहना ।
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(6,सितम्बर-2015)