इंसान की बातें
आदमी को चुभ रही इंसान की बातें ।
आज लगती तीर –सी ईमान की बातें ॥
जो किनारों पर रहे तूफ़ान के डर से ।
आज वे करने लगे तूफ़ान की बातें ॥
हर दिन बाज़ार में काम उनका बेचना ।
हर जगह भाती उन्हें दूकान की बातें ॥
जो अर्से तक रहे यहाँ अर्दली बनकर ।
आज वे करने लगे पहचान की बातें ॥
भूख से दम तोड़ती चिथड़ों बँधी गठरी ।
पेट क्या उसका भरें भगवान की बातें ॥
यार से पूछी कुशल घर –गाँव की हमने ।
उसने कही लाश की ,किरपान की बातें ॥
………………
आदमी को चुभ रही इंसान की बातें ।
आज लगती तीर –सी ईमान की बातें ॥
जो किनारों पर रहे तूफ़ान के डर से ।
आज वे करने लगे तूफ़ान की बातें ॥
हर दिन बाज़ार में काम उनका बेचना ।
हर जगह भाती उन्हें दूकान की बातें ॥
जो अर्से तक रहे यहाँ अर्दली बनकर ।
आज वे करने लगे पहचान की बातें ॥
भूख से दम तोड़ती चिथड़ों बँधी गठरी ।
पेट क्या उसका भरें भगवान की बातें ॥
यार से पूछी कुशल घर –गाँव की हमने ।
उसने कही लाश की ,किरपान की बातें ॥
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