1-मुकेश बेनिवाल
हर बदलाव
मुझमें ही चाहते हो
ख़ुद से कभी पहल नहीं करते
छोड़ देते हो
कठिन-सा सवाल समझकर
तुम मुझे कभी हल नहीं करते।
-0-
2- गीत-पूनम सैनी
मैं गिरिधर की दासी मीरा
दर्शन को बेचैन।
तुम बिन तरसे नैन।।
एक तो मीरा श्याम दीवानी
दूजी जग की सताई,
प्रेम तुम्हीं हो आस तुम्हीं से
प्रभु बिन कौन सहाई
मीरा को मन मोहन वारे
मन की सुनलो बैन
तुम बिन तरसे नैन।
एक तो हूँ मैं अमर सुहागन
दूजी श्याम की प्यारी
तुमसे टूटके कौन से जोड़ूँ
मैं भई मोहन थारी
मीरा को मन मोहन वारे
मन की सुनलो बैन
तुम बिन तरसे नैन
-0-
3-क्षणिकाएँ
प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'
1.
ये हवाएँ,
बड़ी मनचली हो गई हैं.....
मेरी छत के बादल,
तेरे आँगन बरसाएँ !
2.
अबला की अब भी
वही है कहानी,
आँचल में दूध...
और
आँखों में फिर
भी पानी...!
3.
बेकरार दिल
आज फिर कह रहा-
कहीं आँखों से काजल
किसी का बहा है....।
4.
किस हाल में हैं
अब कहें भी तो क्या...,
तेरे कदमों के निशां
रेत पर ढूँढते हैं....!
5.
है लम्बा सफ़र
क्यों न आसान कर लें,
झूठे, सच्चे सही,
कुछ वादें ही कर लें...!
6.
हल्का- हल्का सही,
इश्क चढ़ने लगा...
वैद ढूँढे कोई,
कोई दवा तो बताए...!
7.
बरसते सावन का
करके बहाना...,
बड़ी फ़ुर्सत से रोए,
तुझे याद करके...!
8.
सर्दी की नर्म धूप-सी
तुम्हारी ये चाहत,
मैं मोम की नहीं...,
जाने क्यों पिघल रहीं हूँ...।
9.
भला कैसे मान लूँ
तुम मुझे भूला चुके...,
मैं झूठ कह सकती हूँ
तो क्या तुम नहीं...!
10.
वो भीगी-सी रात
फिर न लौटी कभी,
उसकी याद में चाहे
जितनी पलकें भिगो लीं..!
11
कहतें हैं जिसे इश्क
लगता है ये वही...
न आग में है आग
न पानी में नमी....!
12.
दास्तान ए इश्क
कायनात में घुले,
फिर हम ही रहें
क्यों धुले के धुले..!