पथ के साथी

Thursday, March 6, 2014

मेरी नई कविताएँ

मेरी नई कविताएँ –डॉ सुधेश

1-साधक की खोज

ख़ुशामदी अवसरवादी
तोता चश्म यशलोभी
निकले आगे
और आगे और आगे
मैं धिकलता गया पीछे
और पीछे और पीछे
साधक की खोज हुई
आगे बहुत भीड़ थी
पीछे वालों में
सरस्वती की करुण दृष्टि
पड़ गई मुझ पर
बिना याचना के
मैं पाया गया
प्रथम ।
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2-दु:ख कहाँ है

दु:ख सब को माँझता है
पर जो दु:ख को
काली कमाई से माँज कर
सुख की मरीचिका में बदलते
पूछते हैं-
दु:ख कहाँ है
मन का भ्रम है
भक्ति का पर्याय
परोपकार का बीज है ।
  पर उन का क्या होगा
    जो दु:ख की पहाड़ियों में दबे
    मौत माँगते हैं ?
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