पथ के साथी

Saturday, April 2, 2011

मुक्तक



आज रिश्तों का हिसाब मत देखो
मैंने क्या लिखा ज़वाब मत देखो ।
हर वर्क पर है सिर्फ़  तेरा नाम ,
खोलकर दिल की क़िताब मत देखो॥
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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’