पथ के साथी

Thursday, July 30, 2015

यादों के झरोखे में कलाम



मंजु गुप्ता

'' बने धरती कैसे खुशहाल "
उस पल  हुई साँसें बेहाल
कह न पाई अपनी बात
विदा हो गईं ले के कलाम।

 

गूगल से साभार

गमगीन आँखें दें   विदाई
देता देश - विश्व  सलामी
देश को समर्पित जिंदगानी
दे  श्रद्धांजलि हर  भारतवासी।


अभावों - मुश्किलों भरी जिंदगी
परिश्रम - सच्चाई करे न्दगी
मन तरंगे हालात से   खूब लड़ी
छुई उड़ाने परमाणु की कामयाबी की।


विशाल सोच , चिंतन के ध्यानी
थे शिक्षक , आध्यात्मिक ज्ञानी
आदर्शों , अंतस् प्रज्ञा के धनी
' विंग्स ऑफ फायर ' लोकप्रिय बड़ी।


मानवीय पूँजी थी बड़ी भारी
बैंक पूँजी में खाता था  खाली

रसीला फलदार  वृक्ष सरीखा
विनम्र प्रतिमूर्ति योगदानोंवाली।


बढ़ाया विश्व में ' अग्नि '  ' पृथ्वी ' से मान
मिला  ' मिसाइल मैन ' ; भारत रत्न '   खिताब
लक्ष्य  ' बीस हजार बीस '  तक का सपना
करना था   देश को विकसित अपना।


चढ़ी रहती अथक कामों की धुन
सफलता की समृद्धि सपनों से बुन
किया मेल अध्यात्म - विज्ञान का
जिया जीवन ' गीता ' - ' कुरान ' - सा


बन राष्ट्रपति बाल - जन -युवा में बेमिसाल
नई सोच विज्ञान -  चिकित्सा की बनी मिसाल
सभी परम्परा - संस्कृतियों  में गए थे घुल
रूढ़ियों - कुरीतियों की तोड़ी अमिट  दीवार।


जर्रे - जर्रे को कर गए खुशहाल
' न करना मेरे मरने पे अवकाश
करना देशवासियों दुगना काम '
करेंगी  सदा' पीढ़ियाँ उन्हें याद
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