पथ के साथी

Thursday, January 12, 2023

1269

 

1-शब्द ?

 रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 


शब्द हमेशा शब्द नहीं होते

ये कभी शीतल नीर होते हैं

किसी बदज़ुबान के हत्थे पड़ जाएँ,

तो ज़हरीले तीर होते हैं

शब्द बहुत कम बन पाते मरहम

अधिकतर छीलते हैं मन की परतें

शब्द क्रूर होते हैं

पीड़ित करके खलनायक- से हँसते हैं

करैत साँप से डँसते हैं।

हम भी किस चमड़ी के बने हैं

कि रोज़ शब्दों की चोट खाते हैं

न जीते हैं, न मरते हैं

ये शब्द जब रिश्तों में बँधकर आते हैं

तब प्राणों के ग्राहक बन जाते हैं

जीभर रुलाते हैं

इनकी चोट के घाव

आत्मा तक को घायल कर जाते हैं।

शब्द केवल शब्द नहीं होते,

जिसके हाथ में होते हैं

उसी का रूप धारण कर लेते हैं

कभी शीतल नीर

कभी नुकीले तीर

कभी रिश्तों की चादर में  छुपी शमशीर।

-0-18 दिसम्बर-17