अस्पताल की नर्स बुलाई
डॉ० आत्मदेव मिश्रआओ देखो बिटिया आई
यह सुन मम्मी मुख बिचकाई
पापा की भृकुटी तन आई
दादी खरी-खोटी सुनाई
हाय ! निगोड़ी कहाँ से आई
आशा-तन्तु टूटा बुआ का
थाली नहीं बजाई
नहीं बजी शहनाई
कोई न लुटाए अन्न-धन सोना
कोई न मोतियन माला
गोतिनी पड़ोसिनी गीत न गाई
नहीं कोई शकुन उठाई
दूसरी बार -
अस्पताल का नौकर आया
हँसकर हमें बताया
आओ देखो बेटा आया
सुन मम्मी का मन हरसाया
पापा का चेहरा खिल आया
अहो भाग्य बेटा घर आया