पथ के साथी

Tuesday, October 27, 2015

साँसों की माला



अनिता मण्डा
1
श्याम लिये बंसी हाथ,रास करे गोपी साथ
नाच भी तो नाथ संग,कितना निराला है।
हिय धरि प्रेम पीर,आँखों में भरा है नीर
मीरा को भी मिलता जो ,जहर का प्याला है।
काली घटा घनघोर ,छाया तम चारों
भीतर की जोत जला,तब उजियाला है।
किसी से न लेना-देना,यहीं सब छोड़ देना
तेरे ही तो हाथों मेरी,साँसों की ये माला है।
2
कण कण पावन है, अति मन भावन है
शीश ऊँचा किये हुए, पर्वत हिमाला है
मौसम कई मिलते, फूल हैं कई खिलते
मनोहारी मेरा देश, कितना निराला है.
शहीदों को है नमन, खून से सींचा चमन
उनके ही दम से तो देश में उजाला  है
आदर सेवा सत्कार, सबके लिए उदार
शील संस्कारों सजी यह पाठशाला है
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