पथ के साथी

Sunday, August 9, 2015

साँवली रात से भीगी बातें



कमला निखुर्पा

साँवली रात जागती रही
तारों के साथ ।
बादलों का तकिया लगा
ऊँघता रहा चाँद ।

यादों की ओस
झरती रही बूँद- बूँद
पलकों से रात भर
भीगता रहा सपना ।

झुलाती रही हवा
पवन हिंडोला
झूमी रात रानी
टूटी बिखर गई
पर फिजाँ महका गई ।

अभी -अभी तो झपकी थी
बोझल -सी अँखियाँ
कच्ची नींद से
भोर ने जगाया तो,
कुनमुनाई,रूठीं, रो पड़ी ।
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( प्राचार्या, केन्द्रीय विद्यालय नं 2 , कृभको सूरत)
07.08.2015