पथ के साथी

Sunday, June 9, 2019

907-रंग न उतरे प्रीत का



डॉ.पूर्णिमा राय ,पंजाब 

कान्हा तेरी प्रीत ही है जीवन आधार
रंग भरो बस प्रेम का, क्षणभंगुर संसार ।।

कमलनयन के प्रेम में, राधा है बेचैन
मीरां बनकर घूमती,चाहे हर पल प्यार।।

बाट जोहते नैन हैं ,हाल हुआ बेहाल
दर्शन दे दो साँवरे ,लीला अपरम्पार।।

स्वार्थ -भरी जीवन डगर ,मोह लोभ की धूप
मन सुमिरन औ' कर्म से श्याम मिले साकार।।

उदित सूर्य मेंपूर्णिमामुख पर है मुस्कान 
रंग न उतरे प्रीत का, जीवन -नैया पार।।