पथ के साथी

Wednesday, November 3, 2021

1151-रिश्ते

डॉ. जेन्नी शबनम

1.बेनाम रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं

जी चाहता है कुछ नाम रख ही दूँ 

क्या पता किसी ख़ास घड़ी में  

उसे पुकारना ज़रूरी पड़ जाए

जब नाम के सभी रिश्ते नाउम्मीद कर दें   

और बस एक आख़िरी उम्मीद वही हो ।

2.बेकाम रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं

जी चाहता है भट्टी में उन्हें जला दूँ 

और उसकी राख़ को अपने आकाश में 

बादल-सा उड़ा दूँ 

जो धीरे-धीरे उड़ कर धूल-कणों में मिल जाएँ 

बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं 

बोझिल ज़िन्दगी आख़िर कब तक?

3.बेशर्त रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बेशर्त होते हैं 

बिना किसी अपेक्षा के जीते हैं 

जी चाहता है अपने जीवन की सारी शर्तें 

उन पर निछावर कर दूँ 

जब तक जिऊँ बेशर्त रिश्ते निभाऊँ।

4.बासी रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बासी होते हैं 

रोज़ गर्म करने पर भी नष्ट हो जाते हैं

और अंततः बास आने लगती है 

जी चाहता है 

पोलीथीन में बंद कर कूड़ेदान में फेंक दूँ 

ताकि वातावरण दूषित होने से बच जाए।

5.बेकार रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बेकार होते हैं 

ऐसे जैसे दीमक लगे दरवाज़े  

जो भीतर से खोखले पर साबुत दिखते हों 

जी चाहता है दरवाज़े उखाड़कर आग में जला दूँ 

और उनकी जगह शीशे के दरवाज़े लगा दूँ  

ताकि ध्यान से कोई ज़िन्दगी में आए 

कहीं दरवाज़ा टूट न जाए।

6.शहर-से रिश्ते

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कुछ रिश्ते शहर-से होते हैं

जहाँ अनचाहे ठहरे होते हैं लोग  

जाने कहाँ-कहाँ से आकर बस जाते हैं 

बिना उसकी मर्ज़ी पूछे  

जी चाहता है सभी को उसके-उसके गाँव भेज दूँ 

शहर में भीड़ बढ़ गई है।

7.बर्फ़-से रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बर्फ़-से होते हैं 

आजीवन जमे रहते हैं 

जी चाहता है 

इस बर्फ़ की पहाड़ी पर चढ़ जाऊँ

और अनवरत मोमबत्ती जलाए रहूँ 

ताकि धीरे-धीरे, ज़रा-ज़रा-सा पिघलता रहे।

8.अजनबी रिश्ते 

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कुछ रिश्ते अजनबी होते हैं

हर पहचान से परे 

कोई अपनापन नहींकोई संवेदना नहीं

जी चाहता है इनका पता पूछकर 

इन्हें बैरंग लौटा दूँ।

9.ख़ूबसूरत रिश्ते

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कुछ रिश्ते ख़ूबसूरत होते हैं 

इतने कि ख़ुद की भी नज़र लग जाती है

जी चाहता है इनको काला टीका लगा दूँ 

लाल मिर्च से नज़र उतार दूँ 

बुरी नज़र... जाने कब... किसकी...!

10.बेशक़ीमती रिश्ते 

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कुछ रिश्ते बेशक़ीमती होते हैं

जौहरी बाज़ार में ताखे पे सजे हुए अनमोल 

जिन्हें ख़रीदा नहीं जाता  

जी चाहता है इनपर इनका मोल चिपका दूँ 

ताकि देखने वाले ईर्ष्या करें।

11.आग-से रिश्ते 

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कुछ रिश्ते आग-से होते हैं

कभी दहकते हैं, कभी धधकते हैं  

अपनी ही आग में जलते हैं  

जी चाहता है ओस की कुछ बूँदें  

आग पर उड़ेल दूँ

ताकि धीमे-धीमे सुलगते रहें ।

12. चाँद-से रिश्ते 

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कुछ रिश्ते चाँद-से होते हैं

कभी अमावस तो कभी पूर्णिमा 

कभी अँधेरा कभी उजाला 

जी चाहता है चाँदनी अपने पल्लू में बाँध लूँ 

और चाँद को दीवार पे टाँग दूँ 

कभी अमावस नहीं।

13.फूल-से रिश्ते

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कुछ रिश्ते फूल-से होते हैं

खिले-खिले बारहमासी फूल की तरह 

जी चाहता है उसके सभी काँटों को 

ज़मीन में दफ़न कर दूँ ताकि कभी चुभे नहीं 

ज़िन्दगी सुगन्धित रहे और खिली-खिली।

14.रिश्ते ज़िन्दगी 

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कुछ रिश्ते ज़िन्दगी होते हैं

ज़िन्दगी यूँ ही जीवन जीते हैं 

बदन में साँस बनकर रगों में लहू बनकर 

जी चाहता है ज़िन्दगी को चुरा लूँ 

और ज़िन्दगी चलती रहे यूँ ही।

15.अनुभूतियों के रिश्ते

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रिश्ते फूल, तितली, जुगनू, काँटे

रिश्ते चाँद, तारे, सूरज, बादल

रिश्ते खट्टे, मीठे, नमकीन, तीखे

रिश्ते लाल, पीले, गुलाबी, काले, सफ़ेद, स्याह 

रिश्ते कोमल, कठोर, लचीले, नुकीले

रिश्ते दया, माया, प्रेम, घृणा, सुख, दुःख, ऊर्जा

रिश्ते आग, धुआँ, हवा, पानी

रिश्ते गीत, संगीत, मौन, चुप्पी, शून्य, कोलाहल  

रिश्ते ख़्वाब, रिश्ते पतझड़, रिश्ते जंगल, रिश्ते बारिश

रिश्ते स्वर्ग, रिश्ते नरक

रिश्ते बोझ, रिश्ते सरल

रिश्ते मासूम, रिश्ते ज़हीन 

रिश्ते फ़रेब, रिश्ते जलील
हर अनुभूति के रिश्ते।

16.ज़िन्दगी रिश्ते, रिश्ते ज़िन्दगी 

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रिश्ते उपमाओं-बिम्बों से सजे

संवेदनाओं से घिरे 

रिश्ते, रिश्ते होते हैं 

जैसे समझो रिश्ते वैसे होते हैं

ज़िन्दगी रिश्ते 

रिश्ते ज़िन्दगी।

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