पथ के साथी

Monday, September 15, 2008

सावन का गीत

सावन का गीत

बीरा जो आते मैं सुणैं, जी रुत सावण की

कोई लिल्ली घोड़ी असवार ,आई जी रुत सावण की।

लिल्ली नै छोड्यो रे बीरा लील मैं

कोई जीन धर्यो छटसाल , आई जी रुत सावण की।

-कोई कहै ओब्बो चलणे की बात , आई जी रुत सावण की।

-मैं क्या जाणू रे भोले बीरा रुत सावण की

कोई मौसा अपणे नै पूछ लो ,रुत सावण की ।

होक्का  पीवता जो अपणा मौसा जी पूछा

कोई कहो मौसा भेजणे की बात ,रुत सावण की ।

मैं क्या जाणूँ  मेरे भोले समढ़ेट्टे

कोई मौसी नै लियो पूछ, आई जी रुत सावण की।

दूध बिलौती अपणी मौसी पूछी

मौसी नै दिया है जबाब, आई जी रुत सावण की।

जितना म्हारी कोठी बीच नाज,घणा आई जी रुत सावण की।कोई सारा तो जइयो पीस, आई जी रुत सावण की।

जितना म्हारी गळियों बीच कीच घणा, आई जी रुत सावण की।

इतनी तो जइयो लपसी घोल

 जितने अम्बर बीच तारे घणे

इतने जइयो दिवले बाल जी रुत सावण की।

जाओ रे बीरा घर आपणे ,

कोई धोकी न दियो जबाब आई जी रुत सावण की।

 

( लील =हरी घास ,ओब्बो=बहिन ,समढेट्टासमधी का बेटा)

 

 

बहू की विवशता

बहू की विवशता

-पंचरंगी चीरा बाँध कै

बीरण मेरा घेरों में बैठ्या री

हेरी सासू झटपट दे दे न दूध ,

बीरण मेरा निरणों बासी री।

-        हे बहू इतनी क्यों तारै तावळ

जलै न ल्हासी दे दो री ।

पंचरंगी चीरा…

-हे री तेरी हाण्डी मैं मारूँ ईंट

भूरी पै चोर लगा दूँ री ।

पंचरंगी चीरा……

-        हेरी बहू ऐसे न बोल्लै बोल

-        भेज कै नाँव भी नी लेणे की

पंचरंगी चीरा……

-        हे री मैं नौं भाइयों की बाहण

-        भतीजे मेरे बहुत घणै

पंचरंगी चीरा……

-        हे री वे देंगी अपनी जूठ

-        जली का पेट भरैगा री

पंचरंगी चीरा……

भात का गीत

भात का गीत

काँकर ऊपर काँकरी, मेरी मैया रे जाए

मैं थारै आई पावहणी

जो मेरा रखोगे मान रे ,  मेरी मैया रे जाए

-मान राखैगी तेरी मायड़ी

जिसकी तू लाडो धीयड़ रे

-मायों के राखै न रहै ,

बीरणों की लम्बी पंसाल  रे, , मेरी मैया रे जाए

-जिब हम घर के नित छोटे

जिब क्यूं नी करा था बुहार, , मेरी मैया री जाइ

-इब तुम घर के लखपति

इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जाए

फलसे का गाड्डा बेच कै

, मेरी मैया रे जाए ,तौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रे

-        फलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइ

फलसे की सोभा जाइ रे राम …।

-        -खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाए

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-खूँटे की भुरिया ना बिकै

खूंटे की सोभा जाइ रे , मेरी मैया री जाइ

-भावज का हँसला बेचकै

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-भावज का हँसला ना बिकै

हँसला तो बहू के बाप का , मेरी मैया री जाइ

…………

बारात आगमन का गीत

बारात आगमन का गीत

 

लाड्डो पूछै बाबा से ओ बाबा

मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

बोल गए बतळा गए बागों मैं

मेरी रंग भरी लाड्डो को नजर लगा गए बागों मैं।

लाड्डो पूछै ताऊ से ओ ताऊ

मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्ड…

लाड्डो पूछै पिता से ओ पिता

मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

लाड्डो पूछै चाचा से ओ चाचा

मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

फेरों के गीत

फेरों के गीत-1

अजी बाबा जी अजी ताऊ जी

हमारे आप वर ढूँढो ,

सास  हो जैसी गऊ माता

ससुर हों दिल्ली के दादा जी।

पति हों बाल ब्रह्मचारी

जो राखै प्राणों से प्यारी जी

गड़ा दो केले के खम्बे जी

दिला दो वेद से फेरे जी ।

( इस गीत में इसी प्रकार पिता ,चाचा, जीजा ,बड़े भाई से यह गीत सम्बोधित होकर आगे बढ़ता है )

 

फेरों के गीत-2

 

हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए…

गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या

ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए…

सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे

ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे लिए…।

बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे

देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे लिए …।