पथ के साथी

Tuesday, April 9, 2013

कहाँ विश्राम लिखा !( नव संवत्सर पर विशेष)


डॉ•ज्योत्स्ना  शर्मा

सुन सखी ! कहाँ विश्राम लिखा !
मैंने तो आठों याम लिखा ।
पथ पर कंटक,  चलना होगा,
अँधियारों में जलना होगा ।
मन- मरुभूमि सरसाने को 
हिमखंडों- सा, गलना होगा ।
शुभ, नव संवत्सर हो सदैव ,
संकल्प यही सत्काम लिखा।।

केवल जीने की चाह नहीं ,
भरनी मुझको अब आह नहीं ।
फूल और कलियाँ मुस्काएँ
गूँजे न कोई कराह कहीं ।
नव आगत तेरे स्वागत में 
पल का प्यारा पैगाम लिखा ।।

समय मिलेगा फिर बाँचेगा
मेरी भी कापी जाँचेगा।
रहे हैं कितने प्रश्न अधूरे ;
कितने उत्तर सही हैं पूरे ।
जीवन के खाली पन्नों पर -
साँसों का बस संग्राम लिखा ।।

मैंने तो आठों याम लिखा ,
सुन सख! कहाँ विश्राम लिखा !
-0-