रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
मिला जो झोली भर -भर प्यार।
अभी तक मुझ पर रहा उधार।।
मैं क्या तुम्हें दूँ मीत मेरे
तुम्हीं से जीवित गीत मेरे।
मैं सदा तेरा ही कर गहूँ
सदा तेरे ही उर में रहूँ।
तुम हो नैया
तुम्हीं पतवार।
तुम्हीं हो प्राणों का
संचार।।
पाऊँ तो बस तुझको पाऊँ
और के द्वार कभी न जाऊँ।
बसे कण्ठ में गीत तुम्हारे
चुम्बन- चर्चित, मीत
तुम्हारे।
तैर जाऊँ जग- पारावार
दो जो नयनों का उजियार।।
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