पथ के साथी

Wednesday, March 25, 2020

962कोरोना और मधुशाला( पैरोडी)

ममता शर्मा
(यदि आज के कालखण्ड में बच्चन जी होते तो कुछ ऐसे लिखते)
ममता शर्मा
1
कोरोना  से  डरा  हुआ  है हर कोई पीने वाला 
कैसे निकलूँ घर से मन मेँ सोच  रहा  है मतवाला 
सूनी  सड़कें, सूनी गलियाँ, मदिरालय  मेँ सन्नाटा
सिसक रहा है रीता प्याला बिलख  रही  है  मधुशाला 
2
कभी  हाँ हर  दिन सजती थी  मादक प्यालों की माला 
कभी  जहाँ चहका  करताथा हर  मदिरा  पीने  वाला 
मरघट - जैसी खामोशी है आज उसी के आँगन  मेँ 
विधवाओं  सी गुमसुम  बैठी ,अपनी प्यारी मधुशाला 
3
बड़े -बड़े  पंडित  दिन  भर जो  करते थे  प्रवचन  माला 
कोरोना  ने डाल दिया  है  उन  सबके  मुँह  पर ताला 
बंद  पड़े हैँ  मंदिरमस्जिद गुरुद्वारे भी खाली  हैँ
मजबूरी में फेर  रहें हैँ ,सब अपनी -अपनी माला
4
एक  बार जिसके पड़ जाए,कोरोना की वरमाला  
कितने  भी हों इष्ट  मित्र पर एक  ही छूने  वाला  
चाहे  कितना ऊँचा  पंडित, मुल्ला और  पुजारी हो
दूर -दूर सब रहते उससे  घरवाली, सालीसाला 
5
बाजार  भी बंद  ड़े हैं व्याकुल है पीने वाला  
डरा-डरा -सा  दीख  रहा  है , हर आने -जाने वाला,
सदा  चहकने वाले प्याले  औंधे  मुँह सब पड़े हुए
सोच रहा है बंद रहेगी ऐसे कब तक मधुशाला 
6
अपने घर में बैठ गया है हर कोई  देकर ताला 
किन्तु  चिकित्सक  को देखो वह  है  कितना  हिम्मत वाला 
कोरोना से पीड़ित होकर दो आएँ या सौ आएँ 
सबकी जान  बचाने में वह लगा हुआ है मतवाला 
7
सावधान  रहना है सबको ,बच्चा  बूढ़ा मतवाला 
घर  के  भीतर  रहो  भले  ही बाहर  पड़ जाए पाला 
कोरोना की दयादृष्टि  से दूर रहो दुनिया वालो 
बचा नहीं पाएगा तुमको फिर कोई ऊपरवाला 
8
बाहर निकलूँ तो जोखिम है कहता सबसे  मतवाला  
मरने से डरना बेहतर  है सोच रहा पीने  वाला
आग लगे मादक प्यालों  में, पीने  की  अभिलाषा में 
जान  रहेगी फिर  पी लेंगे भाड़ में जाए मधुशाला
9
मास्क लगाकर  घर से निकला  र  बाहर .जाने वाला 
हाथों में  भी ग्लव्स पहनकर आया  है  वह  मतवाला 
और जेब में रखे  हुए है सिनेटाइज़र की शीशी 
बाल न बाँका  कर  पाएगा कोरोना  इटली वाला 
10
खाँसी- और छींक से बचकर,  चलता हर भोलाभाला 
हाथ मिलाने में जोखिम है समझ  रहा  है मतवाला 
दूरी एक बनाकर सबसे रखना बहुत जरूरी  है 
पड़े रहेंगे वरना जग  में हाला  प्याला  मधुशाला 
11
चोर -उचक्के परेशान हैं,अब क्या  है होने वाला 
हर कोई घर में बैठा है बाहर से  देकर ताला 
धंधापानी  बंद रहेगा कब तक इस कोरोना से  
जल्दी इसका नाश करे अब महादेव डमरू वाला 
12
छेड़ छाड़  करने  में  अब तो हिचक रहा है मतवाला 
निर्भय होकर घूम रही है इधर-उधर साकी बाला 
कौन कहे ये भी आई हो  घूमघाम कर इटली  से 
लेने के देने पड़ जाएँ हो जाए गड़बड़ झाला 
13
तितर बितर  हैं सभी जुआरी, जाने क्या  होने वाला 
चाहे जितना फोन  मिलावें,एक नहीं  आने  वाला 
फेंट रहा है सूखे पत्ते ,सारा  दिन मजबूरी में 
राम करे पड़ जाए इस दुश्मन कोरोना पर पाला 
14
कोरोना का रोना लेकर बैठा  है  पीने वाला 
चिंतामग्न  पड़ा  है घर  में,वह सूखासूखा प्याला 
मित्रजन  का जमघट  भी यहाँ  नहीं लगा  है अरसे  से 
मुरझाईसी बंद पड़ी है बेबस  होकर  मधुशाला
15
जिसको भी जीवन  प्यारा  है उसने  घर  में डेरा  डाला 
भूल  गया  सब  धींगा-मस्ती मादक  प्यालों की माला 
कोरोना के डर से अपनी बिसराई  सब  चालाकी 
याद  न आई चंचल हाला भूल गया वह मधुशाला
16
जनता कर्फ्यू की महिमा को  समझ रहा है मतवाला 
इसीलिए बैठा है घर में हर कोई भोला भाला 
अपने हाथों से करनी है अपनी  ही पहरेदारी
अपने  जीवन का  बनना है सबको अपना रखवाला
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ममता शर्मा,टीजीटी हिंदी GBSSS,S U ब्लॉक पीतमपुरा नई दिल्ली