पथ के साथी

Thursday, February 10, 2022

1185-हरभगवान चावला की कविताएँ

 1-ख़त / हरभगवान चावला

 

मैंने तुम्हारा ख़त पढ़ा

उलट पलट कर देखीं

सारी ख़ाली जगहें

कि शायद कुछ और भी

लिखा हो कहीं

फिर कहा-

बस इतना ही!

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2- मंत्र /हरभगवान चावला

 

घने जंगल में हिंस्र पशुओं का डर हो

रास्ता भटक जाने की सम्भावना हो

भयावह तूफ़ान के आने की आशंका हो

अकाल में भूख पसरने के हालात हों

बाढ़ से पैदा हुई दलदली फिसलन हो

या फिर ज़ालिम निज़ाम में जीने की चुनौती

बचने का एक ही मंत्र है- एक दूसरे का हाथ थामें।

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3-कहानियाँ / हरभगवान चावला

1.

कहानियाँ अगर फाँस- सी कसकने लगें

तो उन्हें हर हाल में सुना जाना चाहिए

कहानियाँ अगर अनसुनी मर जाएँ

तो समाज मर जाता है उनके साथ

सभ्यता और संस्कृति भी।

2.

बड़ी-बड़ी हवेलियों के तहख़ानों में

बहुत- सी चीख़ती कहानियाँ ज़िन्दा हैं

जिस दिन तहख़ानों में हवा दाख़िल होगी

बादल प्रलय की तरह बरसेंगे

और आलीशान हवेलियाँ ढह जाएँगी।

3.

राजाओं की कहानियों में युद्ध थे

जीत का दर्प था या हार की शर्मिंदगी

इन कहानियों को पढ़ते हुए

लाशों की गंध आती है

उँगलियाँ लहू से लिथड़ जाती हैं।

4.

कुछ कहानियाँ भरी जवानी में

दीवारों में ज़िन्दा चुनवा दी गईं

प्रेत हो गईं ये कहानियाँ जब रोती हैं

तो इनके साथ रोता है इतिहास भी

और कातर धरती काँप जाती है।

5.

कुछ कहानियाँ अंकुर की तरह फूटती हैं

ज़रूरी नहीं कि अंकुर पौधे बन ही जाएँ

अक्सर ये अंकुर सूखे से झुलस जाते हैं

उखाड़ दिए जाते हैं खरपतवार की तरह

या डूब जाते हैं बाढ़ के पानी में।

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4-माँ ने भेजीं चीज़ें कितनी - हरभगवान चावला

 

माँ ने भेजीं चीज़ें कितनी

कटोरी भर मक्खन

साड़ी के एक टुकड़े में बँधा सरसों का साग

थैला भर लाल गोलिया बेर 

बहू के लिए काले मोतियों की हरिद्वारी माला

मोमजामे के लिफ़ाफ़े में रखी अरहर की दाल

उसी लिफ़ाफ़े में एक चिट्ठी

पड़ोस की लड़की की लिखी हुई

चिट्ठी में लिखा है बहुत कुछ -

'माँ और बापू ठीक हैं

पड़ोस में सब कुशल है

गणपत के घर लड़का हुआ है

किशन की माँ चल बसी है

खूब बारिश हुई है

घर में अब दूध हो गया है'

चिट्ठी में लिखा है और भी बहुत कुछ

पर वह स्याही से नहीं लिखा।

          (पहले कविता संग्रह 'कोई अच्छी ख़बर लिखना' में से)