रश्मि विभा त्रिपाठी
1
मेरी झोली में भरे, अपने सब सुख- चैन।
जला ज्योत तेरी प्रिये, करें आरती नैन।।
2
प्रिय से पूनम रात है, चहचह करती भोर।
वे पल- पल आशीष की, बरसाएँ अंजोर।।
3
प्रभु तुमसे नित माँगती, एक यही वरदान।
प्रिय के अधरों से झरे, आठ पहर मुसकान।।
4
लगे नहीं तुमको कभी, जग की तपती धूप।
चंद्रप्रभा जैसा सजे, प्रिये तुम्हारा रूप।।
5
प्रिय को दूर विदेश में, दे आते झट तार।
बन बैठे हैं डाकिया, मेरे भाव- विचार।।
6
प्रिय का आशीर्वाद मैं, रखूँ बाँधकर छोर।
दुख की परछाईं कभी, आए ना इस ओर।।
7
श्वास मुदित हो गा उठी, प्रिय नव जीवन राग।
जब तुमने अँजुरी भरा, मधुमय प्रेम- पराग।।
8
मैं पल-पल विनती करूँ, प्रभु से बारम्बार।
तेरे आँगन सुख झरे, तरे देहरी द्वार।।
9
प्रियवर तुम जीते रहो, मेरी एकल आस।
मुखड़े पर मुस्कान का, फैले रोज उजास।।
10
खिले फूल- सा हो सदा, तेरा घर- संसार।
खुशबू से महका करें, आँगन और दुआर।।