1-स्त्रियाँ
डॉ नूतन
गैरोला
डॉ०नूतन गैरोला |
गुजर जाती
हैं अजनबी जंगलों से
अँधेरों
में भी
जानवरों के
भरोसे
जिनका सत्य
वह जानती हैं
सड़क के
किनारे तख्ती पर लिखा होता है
सावधान, आगे
हाथियों से खतरा है
और वह पार
कर चुकी होती हैं जंगल सारा
फिर भी
गुजर नहीं पातीं
स्याह रात
में सड़कों और बस्तियों के बीच से
काँपती है
रूह उनकी
कि
तख्तियाँ
उनके
विश्वास की सड़क पर
लाल रंग से
जड़ी जा चुकी हैं
यह कि
सावधान!
यहाँ आदमियों से खतरा है
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डॉ नूतन
गैरोला: चिकित्सक
(स्त्री रोग विशेषज्ञ), समाजसेवी , लेखिका और सहृदय कवयित्री हैं। हिन्दी हाइकु और त्रिवेणी से भी जुड़ी हैं। गायन और
नृत्य से भी लगाव। पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों में भी भाग लेती रही हैं। उदारमना नूतन पति के साथ मिल कर
पहाड़ों में दूरस्थ क्षेत्रों में नि:शुल्क स्वास्थ -शिविर लगाती रही हैं। अब सामाजिक
संस्था धाद के साथ जुड़कर पहाड़ ( उत्तराखंड ) से जुड़े कई मुद्दों पर परोक्ष
-अपरोक्ष रूप से ( अपने नाम के प्रचार से कोसों दूर)काम करती हैं। पत्र पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन.
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2-निरुत्तर
सविता अग्रवाल 'सवि'
जब जब तुमने प्रश्न किये
मेरे मुख से
स्वतः ही
उन के उत्तर निकले
परन्तु हर प्रश्न से
एक नए प्रश्न का जन्म हुआ
तुम प्रश्न करते गए
मैं उत्तर देती गई
यही क्रम बहुत देर तक चला
प्रश्नों की एक बाढ़
मेरे मस्तिष्क में आ गई
और मैं स्वयं उसमें
डूबने- सी लगी
अपने को उस भँवर से
निकालने की खातिर
प्रश्न को प्रश्न ही रहने दो
कोई उत्तर न दो ,सोच कर
मैं निरुत्तर हो गई |
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