पथ के साथी

Sunday, August 7, 2016

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1-कुछ देर तो
डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण

कुछ देर  तो  बातें करें हम, आइए!
दिल का खालीपन भरें हम, आइए!!

ये है अँधेरा बढ़ रहा चारों  तरफ ही,
अब रोशनी बनकर झरें हम,आइए!!

मौत आनी लाज़मी है,जानते हैं हम,
क्यूं  मौत से पहले  मरे हम, आइए!!

जो नहीं भाता हमें अपने लिए साथी,
क्यूं आप की खातिर करें हम,आइए!!

कोई तो है वो, जो देखता है सबको ही
बस  'अरुण' उस से  डरें हम, आइए!!
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पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरू नगर,रुड़की-247667 





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2-रामेश्वर काम्बोज  ‘हिमांशु’

बीच सफ़र में कुछ छूटेंगे, कुछ तोड़ेंगे  सपने
थोड़े से होंगे बेगाने  , अनगिन होंगे  अपने
इन अपनों से ,बेगानों से , कब तक डरकर जीना
बहुत दिनों तक नहीं चलेगा, छुपकर आँसू पीना
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