पथ के साथी

Sunday, May 3, 2020

982-सारा आकाश भरें




रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


छोटी-सी
अँजुरी में हम
सारा आकाश भरें ।
पोर -पोर में
सौ-सौ सूरज-
 का उजियार भरें ।
आँसू की
धरती से निकलें
मुस्कानों की कोंपल
अंगारों की
खिलें गोद में
संकल्पों के शतदल
पलक-कोर पर
उतर चाँदनी
नित सिंगार करे ।
बन्धन के
महलों में घुटता
पाखी
व्याकुल मन का
मिल जाए बस
कोई कोना
हमको निर्जन वन का
जितना हो
सुख दे दें
जग को
          जीभर प्यार करें ।
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( सन्दर्भ:  रचना 25 मई 1992, प्रकाशन:तारिका मासिक-अप्रैल-93,विश्व ज्योति-अप्रैल -मई 93, देशबन्धु-22-9-94, प्रसारण:आकाशवाणी-अम्बिकापुर 31-10-1998)
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