पथ के साथी

Tuesday, August 30, 2011

ईद का चाँद (ताँका)


-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1

आज का दिन
कितना खुशनुमा !
हवा करती
देखो  सरगोशियाँ
खुश ज़मीं -आसमाँ
2
ईद का चाँद
हर रोज़ बढ़े ज्यों,
सुख भी बढ़ें
रोज़ गगन चढ़े
दिल रौशन करें ।
3
पास न आए
कभी दुख की घड़ी
प्यार मुस्काए
दर पे लहराए
खुशी की फुलझड़ी ।
4
आबो-हवा भी
खुशगवार ही हो
बिछुड़े थे जो,
छोड़ शिकवे-गिले
आज गले वो मिलें ।
5
बिदा कर दें
नफ़रतें दिल से
प्यार बसाएँ
इस दुनिया को ही
जन्नत -सी बनाएँ ।
-0-