पथ के साथी

Monday, September 14, 2020

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हिन्दी मीठी पुरवाई है

 

आशीष जैन

 संस्कृत के श्रेष्ठ संस्कारों से


परिमार्जित होकर आई है
,

हिन्दी मीठी पुरवाई है

हिन्दी ठंडी पुरवाई है ।

 

कढ़ सूर- सिंधु के मंथन से

तुलसीदल- सी पावन होकर

मानस में डूबक आई है,

हिन्दी ठंडी पुरवाई है

हिन्दी मीठी पुरवाई है ।

 

कभी ओढ़ चदरिया कबीरा की

कभी मीरा का इकतारा ले

राधा रानी -सी लुनाई है,

हिन्दी ठंडी पुरवाई है

हिन्दी मीठी पुरवाई है ।

 

महादेवी- सा रूप, पंत का प्रेम

निराला ओज, सत्य की खोज

खड्ग ले खड़े चंदबरदाई हैं

हिन्दी ठंडी पुरवाई है

हिन्दी मीठी पुरवाई है ।

 

कभी फिल्मी गीतों के द्वारा

कहीं गिरमिटिया के श्रम के संग

कभी अटल-मोदी के साथ-साथ

जग -मानस की परछाई है,

हिन्दी ठंडी पुरवाई है

हिन्दी मीठी पुरवाई है ।

-0- पी जी टी , केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-2 , भोपाल