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हिन्दी मीठी पुरवाई है
आशीष जैन
संस्कृत के श्रेष्ठ संस्कारों से
परिमार्जित होकर आई है,
हिन्दी मीठी पुरवाई है
हिन्दी ठंडी पुरवाई है ।
कढ़ सूर- सिंधु के मंथन से
तुलसीदल- सी पावन होकर
मानस में डूबकर आई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
कभी ओढ़ चदरिया कबीरा की
कभी मीरा का इकतारा ले
राधा रानी -सी लुनाई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
महादेवी- सा रूप, पंत का प्रेम
निराला ओज, सत्य की खोज
खड्ग ले खड़े चंदबरदाई हैं
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
कभी फिल्मी गीतों के द्वारा
कहीं गिरमिटिया के श्रम के संग
कभी अटल-मोदी के साथ-साथ
जग -मानस की परछाई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
-0- पी जी टी , केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-2 , भोपाल