पथ के साथी

Sunday, August 15, 2010

आटे की चिड़िया (हाइकु)

- डॉ हरदीप संधु रामेश्वर काम्बोजहिमांशु
मुन्नी जो रोए
आटे की चिड़िया से
माँ पुचकारे !
चिड़िया मिली
मुनिया की बिखरी
दूधिया हँसी ।
उड़ती नहीं
आटे की चिरइया
ओ मेरी मैया !
अभी ये छोटी
उड़ेगी तब जब
खाएगी रोटी ।
रोटी ही लाओ
माँ इसको खिलाओ
उड़ेगी फुर्र !
रोटी खाकर जब
ये फुर्र से उड़ जाएगी
हाथ नहीं आएगी ।