रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जले अलाव
फ़रार हुई धूप
काँपती छाँव ।
2
पकती चाय
बिखरती खुशबू
लहके आँच ।
3
रात है सोई
ओढ़े कोहरे -बुनी
गरम लोई ।
4
ताल में तारे
लगाकर डुबकी
सिहरे-काँपें ।
5
धूप बिटिया
खेले आँख मिचौली
हाथ न आए ।
6
रात गुज़ारें
ये बेघर
बेचारे
नभ के
नीचे ।
7
सर्दी की
धूप
गोदी में
आ बैठी
नन्हे
शिशु-सी ।
8
पल में
उड़ी
चंचल
तितली-सी
फूलों को
चूम ।
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