पथ के साथी

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Friday, May 6, 2011

भाव-धारा


                         
1
बिना कहे जो सब कुछ कह जाते हैं

बिना दोष जो सब कुछ सह जाते हैं ।
दूर  हैं पर दिल के क़रीब रहते हैं
उनको हम अपना नसीब कहते हैं ।
-मुमताज-टी एएच खान
2

सपना ही सही ,सजाए रखिए  
ज़िन्दगी का भ्रम, बनाए रखिए   
हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है 
                              कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए ।                                                 -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

Friday, September 17, 2010

याद नहीं

याद नहीं
मुमताज़ -टी एच खान


ज़िन्दगी में  उतार-चढ़ाव आया , अब कुछ याद नहीं।
इस दुनिया ने हमें खूब रुलाया , अब कुछ याद नहीं।

अपनों ने हमें पराया बनाया , अब कुछ याद नहीं।
सारी -सारी रात हमें जगाया , अब कुछ याद नहीं।

पीड़ाओं को खूब गले लगाया , अब कुछ याद नहीं।
ज़िन्दगी में हमने धोखा  खाया, अब कुछ याद नहीं।

आपने जबसे हमारे जीवन में  , फैलाई   रोशनी
बीत गए  सब अँधेरे वो कैसे ,  अब  कुछ याद नहीं

Wednesday, September 15, 2010

हमारा वादा है


-मुमताज़ और टी एच खान

आप हमको मिले,
यह हमारा भाग्य था ।
आपने हमको अपनाया,
यह हमारा सौभाग्य था ।
आप वर्षों  बाद फिर मिले,
यह फिर हमारा सौभाग्य है ।
आपसे हमने भाई का स्नेह पाया,
यह आपकी  महानता और  हमारा सौभाग्य है ।
आपको हम जीवन भर खोने नहीं देंगे,
यह आपसे हमारा वादा है।
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