डॉ अनीता कपूर
हर एक पल पर अंकित कर दें
साँसों के हस्ताक्षर
परिवर्तन कहीं हमारे चिह्नों
पर
स्याही न फेर दे
साथ ही
जिंदगी के दस्तावेजों पर
अमिट लिपि में अंकित कर दे
अपने अंधेरे लम्हों के स्याह हस्ताक्षर
कल को कहीं हमारी आगामी पीढ़ी
भुला न दे हमारी चिन्मयता
चेतना लिपियाँ
प्रतिलिपियाँ….
भौतिक आकार मूर्तियां मिट जाने पर भी
जीवित रहे हमारे हस्ताक्षर
खोजने के लिए
जीवित रहें हमारे हस्ताक्षर
कहीं हमारा इतिहास
हम तक ही सीमित न रह जाये
इसीलिये आओ
प्रकृति के कण-कण
में
सम्पूर्ण सृष्टि में
चैतन्य राग भर दें
अपनी छवि अंकित कर दें
दुनिया की भीड़ में खुद को
शामिल न करें।
भविष्य की याद हमें स्वार्थी बना कर
आज ही पाना चाहती है
अपना अधिकार
न हम गलत है, न
हमारे सिद्धांत
फिर भी
स्वार्थी कहला कर नहीं लेना चाहते
अपना अधिकार
आओ
अंकित कर दें
हर पल पर
अपनी साँसों के हस्ताक्षर ।
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