पथ के साथी

Thursday, August 4, 2011

पहाड़ी नदी (हाइकु)




रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
हरहराती
है ऊधम मचाती
पहाड़ी नदी

2
तोड़ती तट
बिखरी धारा-लट
अल्हड़ नदी
3
पत्थरों पर
उचकती -कूदती
रँभाती नदी
4
कुछ न सुने
ये कुछ मनमौजी
कुछ हठीली
5
धौल जमाती
चट्टानों तक को भी
नहीं लजाती
6
खेलती कभी
खोह में घाटियों की
चोर -सिपाही
7
कैसे पकड़ें ?
तनिक भी किसी के
हाथ न आती
8
चीड़ के वन
पार करके थकी
पहाड़ी नदी
9
मन्थर गति,
चूर-चूर हो गई
सुस्ताती नदी
-0-

(सभी चित्र गूगल से साभार)