पथ के साथी

Thursday, August 20, 2020

कविताएँ

 1- अनिता मंडा

 बड़ी बहू सचमुच नाकदार थी पूरे ख़ानदान की

कभी नज़र उठाकर नहीं देख पाया

उसकी तरफ कोई भी

 

मझली की भी ठीक ही थी नाक

बच्चे सारे उसी पर गए

बिटिया को सब परी बताते थे

 

छोटी बहू की इतनी बड़ी नाक

हर कोई ताना देकर कह देता

चिराग़ लेकर ढूँढ़ी होगी 

इतनी बड़ी नाक वाली

क्या छुटका आसमान से टपका था

 

कई दिनों तक दोस्तों ने उसका मज़ाक़ उड़ाया

दुल्हन नहीं नाक आई है

सुना था साल तक

छुटका चौबारे में ही सोता था

 

घर का आँगन रसोई दीवारें

यहाँ तक कि आसमान भी

गूँजता था नाक की चर्चा से 

 

अम्मा को जब गठिया हुआ

घुटनों पर ग्वारपाठे की ख़ूब मालिश की

छुटके की बड़ी नाक वाली बहू ने

और बाऊजी को जब अपाहिज कर दिया

मुएँ पक्षाघात ने

गीला-सूखा करने में कभी

नाक-भौं नहीं सिकोड़ी छोटे की बहू ने

ननदों को सदा पहना-ओढ़ा भेजती है

छोटे की बहू

 

कब इतना समय बह गया नदी की तरह

कि अब सास बनने वाली है छोटी बहू

जोर-शोर से ढूँढ़ी जा रही है लड़की

 

खाट में पड़ी अम्मा कहती है

"सुवटे की चोंच-सी" होना चाहिए

दुल्हन की नाक.

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2-इन्द्रधनुष 

प्रियंका गुप्ता 

 

सुनो,

हवाओं में यूँ ही बेफिक्र टहलते कुछ शब्द

कुछ धीमे से बोल,

कभी तो किसी सुगंध की तरह

बस छू के निकल जाते हैं

सराबोर से करते,

तो कभी

किसी तितली की मानिंद

हथेली पर आ सुस्ताते हैं;

कुछ तितलियाँ मुट्ठियों में नहीं समाती 

बस उड़ जाती हैं

और छोड़ जाती हैं 

एक भीनी सुगंध

और लकीरों में कुछ रंग;

सुनो,

तुमने इंद्रधनुष उगते देखा है क्या ?

 -0-ईमेल: priyanka.gupta.knpr@gmail.com

3- बैरी सुन लो भारत -नाद (आल्हा छन्द)

 ज्योत्स्ना प्रदीप

 

भारत की  गरिमा प्यारी है , करे  अमन से  हर   संवाद ।

बहुत हुई  अब  बातें  सारी ,बैरी  सुन    लो  भारत- नाद ।

 

हर दम  सीमा प्रहरी जागाकरो  नहीं  बैरी  कुछ  भूल ।

तेरे  छल को   माटी   करनेरोम- रोम  बन जाता  शूल ।

 

विजय   हमारी  सदा   रही  हैजीते   लेकर    उर   में   आग ।

क्रोध-अगन इस दिल में जलती वीरों   का  तो   हर   दिन  फाग ।

 

मंगल  पाण्डे,  झाँसी -रानीभगत, राज, सुखदेव शहीद ।

बैरी-   चोला  लहू    नहाया तभी   मनाई    होली ,   ईद ।

 

मंत्र तिलक गाँधी के  प्यारेलालाजी   की  थी   हुंकार ।

अंग्रेज़ों   का   दंभ चूर कर, हिले सभी  फिर सागर- पार।

 

नहीं  डरे   हैं  नहीं  डरेंगेचाहे   बैरी   हो  चालाक ।

चेत  पड़ोसी 'चीनी भाई,' आतंकित है अब तक पाक़ ।

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