पथ के साथी

Wednesday, July 24, 2013

शब्दांकन पर प्रकाशित एक लघुकथा "दिस इस अमेरिका"

तुम्हें उठना ही होगा


डॉ एस. पी. सती

1.विनाश का तांडव स्तोत्र

घाटियों को पात्र बना कर
बाँधो का अम्बार लगा है
जर्रा-जर्रा नदी तटों का
मलवे से जो पटा पड़ा है
तुम कहते हो गुस्सा क्यों है?
धन-भक्तों की हवस बना है
पहाड़ पूरी दुकान-सा सजा है
बदरी से केदार गंगोत्री
बिके पड़े हैं दुकां-दुकान में
क्रोध भरा है हिमनग में जब
तुम कहते हो गुस्सा क्यों है
लाशों का अम्बार लगा है
रामबाड़ा अटा पड़ा है
कौवे-गिद्धों की दावत है
नुची लाश की अँतडियों से
घास के गुच्छे निकल रहे है
गिद्धों की सेवा लेकर तुम
लाशें कम कर दिखा रहे हो
तुम कहते हो गुस्सा क्यों है?
अविनाशी शिव चहुँ ओर से
विनाश का उद्घोष करे हैं
हतप्रभ करने वाला है यह
मगर तुम नहीं समझ रहे हो
हिमप्रदेश का धैर्य दरक कर
विनाशलीला मचा रहा है
सभी जानते अपराधी को
किसको मूरख बना रहे हो
तुम कहते हो गुस्सा क्यों है?
अमन बह गया चमन बह गया
डर तुमको बस कुर्सी का है
तुमको मौतों में भी अवसर
पर ढूँढ़े मिल नहीं रहा है
तुम बेशरम-बेहया तुम्हारे
मानवता के दुश्मन सारे
वों दिन अब बस दूर नहीं है
जब फटेंगे कुर्ते सारे
होगी जनता जब सड़कों पर
तुम कहते हो गुस्सा क्यों है..
-0-
2. तुम्हें उठना ही होगा 

उठो तुम्हें उठना ही होगा 
चले गए सैलानी जबसे
मरघट -सी खामोशी है,
जार-जार रोती है घाटी
गाँव-गाँव में मातम है.
एक गाँव में पौध मिट गई
बना दूसरा विधवा बस्ती
एक पूरा उजड गया तो
घाटी का ही बुझे है चूल्हा
ज़िंदा नहीं हैं खड़े  हैं जितने
उनसे कहीं अधिक मरे हैं
मुर्दे लानत दें चीखकर
जिन्दा मगर खामोश खड़े हैं
ऐसा मंजर जहाँ-तहाँ है
कौन किसी का कहाँ -कहाँ है
मौत का तांडव ऐसा देखा
जर्रा-जर्रा काँप उठा है....

पर अब तुम सन्नाटा तोड़ो
हतप्रभ रहने से क्या होगा
उठो पुनः निर्माण करो अब
साँसे भरने लगो उठो फिर
खोया सबकुछ फिर आएगा
जिन्दा तुम हो यकीं करो तो
कमर बाँध कर अँगड़ाई लो
यही नीति है यही धर्म है
तुम ना थके हो तुम ना थकोगे
क्रन्दन को तू बदल चीख में
तू ही खुद है भाग्य विधाता
तू ही सर्जक कर्मवीर तू
जिन पर तू है आस लगाए
वे कव्वे है गिद्ध भेड़िए
वे तुझको बस नोच सके हैं
तू उनसे उम्मीद ना कर
तू खुद नव निर्माण करेगा
नवसर्जन का प्राण बनेगा
उठो धरा फिर सजना है
उठ शंकर तू धारी भी तू
उठो-उठो अब बहुत हो चुका
मरघट को ज़िंदा करना है ।
-0-
ज्योलॉजी विभाग
हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय
श्रीनगर ( गढ़वाल), उत्तराखण्ड-246174
       मोबाइल   +91 9412949550

ई-मेल-spsatihnbgu@gmail.com