पथ के साथी

Friday, September 19, 2025

1471-काकोरी ट्रेन एक्शन

 

विता-

काकोरी ट्रेन एक्शन

 शिवानी रावत , बी.ए.तृतीय वर्ष

 


किसे पुकारूँ बिस्मिल कहकर

रोशन सिंह जाने कहाँ खो गया

कैसे भूल जाऊँ राजेंद्र तुम्हें

तू तो ब्रिटिश राज को दहला गया

आँखों में मौत का खौफ न था

 तुम्हें जन्नत का शौक न था

जिंदगी  वतन के नाम थी

धन्य हो वीर सपूतो!

तुम्हारी नींद वतन पर नीलम थी

जिक्र छिड़ा जब अशफाक उल्ला का

फिर-फिर काकोरी एक्शन याद गया

पलकों में आँसू छुपाए

बस इतनी सी ख्वाहिश रखती हूँ

मेरे वतन की आबरू सलामत रहे

खुदा से यही गुजारिश करती हूँ

पाल लूँगी मैं भी अपने हाथों में

हुनर लाजवाब

पूरा करूँगी मैं भी अपने वतन का

हर एक ख्वाब

न मैली होने दूँगी उस आजादी को

जिस पर लगा गुलामी का दाग

हर वीर अपने खून से धो गया ।।