रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
यह दुनिया तो दो पल की है, बस मैं इतना इज़हार करूँ
जो चाहे नफ़रत करता हो, मैं तुझसे जीभर प्यार करूँ।
सुख-दुख तो आते-जाते है, ये अपना फ़र्ज़ निभाने को
आँख मुँदे जब अन्तिम पल में,मैं तेरा ही दीदार करूँ।
2
धूप है, ठण्डी हवाएँ साथ हैं ।
लाख दुश्मन, सब दिशाएँ साथ हैं ।
पथ में बाधाएँ माना हैं खड़ीं
हमेशा शुभकामनाएँ साथ हैं।
3
प्राण जब तक, हम तुम्हारे साथ होंगे ।
सिन्धु तक, दोनों किनारे साथ होंगे ।
कब प्रेम का जल, सूखता है धूप से
हम सदा बाहें पसारे साथ होंगे ।
4
सीख देने आ गई, इस लहर से तुम
डरो।
विषबेल सींचो नहीं,
इस ज़हर से तुम डरो।
प्यार दिल में है नहीं, ना सही , इतना करो
जीभ कोरोना बने, इस कहर से तुम
डरो।
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