रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
नेताजी कई दिन से बीमार थे । अस्पताल के कई बड़े डॉक्टर परिचर्या में लगे हुए थे । दवाइयाँ भी बदल-बदलकर दी जा रही थीं। नेताजी की मूर्च्छा फिर भी न टूट पाई । चिन्ता बढ़ती जा रही थी । गण व्याकुल हो उठे । प्रमुख गण को एक उपाय सूझा । वह दौड़ा-दौड़ा एक दूकान पर गया । वहाँ पार्टी के प्रान्तीय अध्यक्ष की कुर्सी मरम्मत के लिए आई थी । वह घण्टे भर के लिए कुर्सी माँग लाया । चार लोगों ने भारी-भरकम नेता जी को कुर्सी पर बिठा दिया । उनकी चेतना लौट आई ।
डॉक्टरों ने राहत की साँस ली ।
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