डॉ.सुरंगमा यादव
सपनों में भरनी है जान
यदि बनानी है पहचान
क्षमताओं को अपनी जान
भर के देख फिर सही उड़ान
एक बार जो लेना ठान
उस पर ही करना संधान
धूप-ताप आए बरसात
मन की छतरी लेना तान
खुद बनना अपनी प्रेरणा
हालात पर नहीं बिफरना
पीछे मुड़कर नहीं निरखना
भ्रमजाल भी जाने कितने
मिल जाएँगे पथ में
मगर तुझे है बढ़ना
अपनी ही धुन में
गहराए यदि कहीं अँधेरा
मुसकानों के दीप जलाना
मन-सुमन खिलाए रखना
निश्चित है मंजिल को पाना
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